एक रिश्ता बेनाम सा,
ना हासिल ना जुदा,
ना खोया ना मिला
फिर भी करीब सा
जरूरी तो नही पर जरूरी सा
मोहब्बत भी नही पर मोहब्बत सा
जाने कैसा है!हां बस शायद रिश्ता हैछाव कभी मिली नही पर धूप में याद आया जरूर,
भूला सायद कभी नही पर यादों ने सताया जरूर,
दूरी तो कभी थी नही पर मंजिल बहुत दूर थी,
अपनी कभी बनी नही पर हासिल जरूर थी,
बगीचों में कभी घूमा नही फूलो संग झूमा नही,
पर मन मे यादों का है सुगन्ध बसता,
जरूर भी है पर जरूरी नही शायद ये रिश्ता,
हा शायद ये रिश्ता..........संदेशो का आना अब बंद सा हुआ है,
मन ने फिर अंधेरो को छुआ है,
पास वो नही है पर यादों में जुनून है,
तरसती आंखों को बस इतना सा सकून है,
ये रात ढल जाएगी हर तम हट जायेगा,
और साथ सूर्य ये नया प्रकाश लाएगा,
प्राची से फिर दिखेगा प्रकाश पुंज रिसता,
जरूरी भी नही पर जरूरी सा है,
शायद ये रिश्ता हा शायद ये रिश्ता,.....
...---///////-------- श्रीधर मिश्र
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हां.... एक रिश्ता...
Poetryकभी कभी कुछ कविता अनायास ही लिख जाती है , परंतु वो हमारे जीवन पर गहरी छाप डालती है,ये कविता ठीक वैसे ही है , जितना कुछ मन में था सब लिख दिया और जो कुछ नही हुआ था वो भी वक़्त से सच हुआ ..........लास्ट में हम आज भी साथ है