और प्यार हो गया ....

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आदित्य और सुचिता के फ्लैट एक ही बिल्डिंग में थे सुचिता के पापा राजेश और आदित्य के पापा लवलेश बहुत अच्छे दोस्त थे और उनकी दोस्ती की वजह से उनकी फॅमिली भी बहुत क्लोस थी।
आदित्य सुचिता को बहुत पसंद करता था लेकिन सुचिता उसे बिल्कुल पसंद नही करती थी । शायद इस वजह से क्योंकि आदित्य सिगरेट पिता था और उसके दोस्त भी थोड़े अनारी ही थे ।
लवलेश जो आदित्य के पापा थे उनका birthday था तो अदित्य सभी को invite करने गया और सबके यहा होकर वो सुचिता के घर जाता है और दरवाजा नॉक करता है।

कौन है आ रही हु - सुचिता ने अंदर से बोला

(आदित्य उसकी आवाज सुनकर बहुत खुश हुआ की सुचिता दरवाजा खोलने आयेगी )
बोलो क्या हुआ - सुचिता दरवाजा खोलकर बहुत सडु सि बोलती है

वो मैं मतलब मेरे पापा का बर्थडे है तो वही invite करने आया था( थोड़ा घबरा कर बोला )

ओके हम आ जाएंगे - सुचिता ने कहा और दरवाजा बंद कर लि

आदित्य थोड़ा उदास हुआ उसके इस बिहेवियर से लेकिन फेर अपने दिल को मनाया ये कहकर की मैं उससे प्यार करता हु ।

शाम का वक़्त था सारे मेहमानों का आना जाना लगा था लेकिन अदित्य अपने खास मेहमान सुचिता का इंतेजार कर रहा था ।

लंबे इंतेजार के बाद आखिर ठीक सवा नौ बजे राजेश अंकल आंटी और सुचिता आये
अरे राजेश बड़ी देर कर दि आने में - लवलेश (आदित्य के पापा)
हा यार वो ऑफिस से आने में थोड़ा वक़्त लग गया , वेरी मैनी हैप्पी return ऑफ दि डे मेरे भाई - राजेश ने कहा

इस मिलन के बीच आदित्य की नजरे सिर्फ सुचिता को देख रही थीं ।
हाय कितनी खूबसूरत लग रही है आसमान की परिया भी इसे देखकर जलती होंगी - आदित्य (मुस्कुराते हुए सोच रहा होता है )

तभी सुचिता उसे देखती जो उसी की तरफ देख रहा होता है
सुचिता गुस्से से उसे देखती है तो आदित्य सकबकाकर दूसरी तरफ घूम जाता है ।

क्या देख रहे हो कभी लड़की नही देखी क्या तुम जैसे लोफर लड़को को मैं अच्छे से जानती हु समझे - सुचिता ( इतना कहती है और सिर झटककर चली जाती है)

मैं और लोफर , माना मैं सिगरेट पीता हु मेरे दोस्त शरारती हैं पर मैं इतना भी बुरा नही हु जितना मुझे ये समझती - आदित्य (सोचता है )

आखिर समझती क्या है ये खुदको मैं इससे प्यार करता हु माना मैंने लेकिन इसका मतलब ये थोड़े की ये कुछ भी कहे - आदित्य( बड़बड़ा रहा था की तभी अचानक उसकी नजर सुचिता पर पड़ती है)

वो मुस्कुरा रही होती है उसकी mumyy और बहन के पास खड़ी होकर
हाय क्या गजब ढा रही थी इस मुस्कान से, अरे ठीक है मैं प्यार करता हु उससे मुझसे गुस्सा नही करेगी तो किस्से करेगी -आदित्य (उसे देखकर सोचता है और मुस्कुराता है)

बेटा आदि वहा क्या मुस्कुरा रहे हो बेटा खड़े होकर जाओ राजेश अंकल और उनकी फैमिली को जूस वगैरा सर्व करो - आदित्य के पापा बोलते हैं

(आदित्य सकबकाकर हा में गर्दन हिला देता है)

(जुस लेकर आदित्य राजेश को और उनकी पत्नी को सर्व करता है फिर सुचिता के पास जाता है और मुस्कुराकर जूस का ट्रे उसकी ओर देता है )

पागल है क्या ये बेवजह मुस्कुरा रहा है - सुचिता सोचती है

(सुचिता ग्लास उठाती है पर ग्लास उसके हाथ से फिसल जाता है और जमीन पर गिरता है सुचिता डर जाती है और चीख पड़ती है)

ये देखकर आदित्य घबराकर उसके पास भागकर जाता है और उसका हाथ पकड़कर

सुचिता तुम ठीक तो होना - आदित्य

सुचिता उसे अवाक होकर देखने लगती है

(सब मेहमान आदित्य को देखने लगते हैं )
शायद थोड़ा odd लगा होगा सबको - आदित्य सुचिता का हाथ पकड़े हुए सोचता
तभी सुचिता उसका हाथ झटक देती है

तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की - सुचिता गुस्से में बोली
अरे पर - आदित्य( इससे पहले आदित्य कुछ बोल पता की राजेश बोल पड़ते हैं )

बेटा सुचिता वो तो बस ये सोचकर घबरा गया होगा की कही तुम्हे चोट ना लग गयी हो और तुम हो की उसे ही दांट रही हो -राजेश

पार्टी खत्म होती है सब अपने घर चले जाते हैं
शायद मैंने कुछ ज्यादा ही overeact कर दिया था आदित्य के हाथ पकड़ने पर मुझे उसे सबके सामने ऐसे नही दतना चाहिए था - सुचिता (रात वाले इंसिडेंट को लेकर गिल्टी फील कर रही होती है )

अगले दिन क्या होता है जाने अगले पार्ट में

Guys ye meri phli story h iske aage ki kahani janne ke liye mujhe vote kare thnq so much

और प्यार हो गया ...Where stories live. Discover now