सन्देश -भाग 4

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दुविधाओं के जाल काटकर ,

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दुविधाओं के जाल काटकर ,

खुद को नयी दिशा दिखला,
तूफानों में बुझे नहीं जो,
वो आशा के दीप जला 
पथ कांटों को चुभने दो,
पीड़ा होगी केवल तन को,
मंजिल पाकर हीं रुके कदम,
हम आज उठा लें इस प्रण को ।
प्राणों से प्यारा हो यह प्रण,
हर पल इस बात का ध्यान रहे,
ऐ वीर सपूतों भारत के,
भारत की ऊंची शान रहे।
भारत की ऊंची शान रहे।

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