मैं जंग लगी तलवार नहीं , मैं बेबश लाचार नहीं,
मैं सर से पैर बबंडर हूँ ,चल पडूँ तो मस्त कलंदर हूँ
बस इन्तजार उस पल का है जब लगे सब्र अब छलका है .
मैं महाराणा का हूँ प्रताप , मैं वीर शिवा का पलटवार
मैं पृथ्वीराज का शब्दभेदी, रानी लक्ष्मी का प्रतिकार,
मैं समर आल्हा उदल का, मैं कोरा प्रचार नहीं.
मैं जंग लगी तलवार नहीं ........
मैं वीर शुभाष का देशप्रेम, मंगलपांडे का शंखनाद ,
मैं चंद्रशेखर की आजादी, मैं दिनकर जी का राष्ट्रवाद ,
मैं भगत सिंह का इन्कलाब , मैं कायरता का द्वार नहीं
मैं जंग लगी तलवार नहीं ..........
मैं भागीरथ का तप कठोर, मैं ऋषि अगस्त्य का आत्मज्ञान ,
मैं परशुराम का फरसा हूँ, मैं विश्वामित्र का ब्रह्मज्ञान ,
मैं ऋषि दधीची का हड्डी हूँ, मद, लोभ, दंभ का सार नहीं
मैं जंग लगी तलवार नहीं .......
मैं हूँ अनादि - मैं हूँ अनंत , मैं हनुमान - मैं जाम्बंत ,
मैं चक्र सुदर्शन केशव का , मैं श्री राम का धनुष बाण ,
मैं नेत्र तीसरा शिवजी का, मैं अश्रु का धार नहीं.
मैं जंग लगी तलवार नहीं , मैं बेबश लाचार नहीं,