कोई फर्क नहीं पड़ता(शायरी)

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किसी भी राह से गुजरे कोई फर्क नहीं पड़ता
क्यूँकि
न किसी सफर के हम राहगीर हैं
न ही कोई मंजिल अब हमारी हैं
न किसी मुकाम को हाँसिल करने की हमें खुमारी हैं
और
न ही हम पर भारी किसी की अब कोई गरारी हैं
हैं तो बस हाँथो में कुछ जिम्मेदारी हैं...जिनकी देनी हमें जवाबदारी हैं
और जिनमें वक्त की सबसे बड़ी हिस्सेद्दारी हैं।

"$tatus Book"Where stories live. Discover now