याद है
अब भी मुझे
जब हम
पहली बार मिलेवो काली शर्ट तुम्हारी
अब भी मुझे
गुदगुदती हैजब भी तुम्हे देखती हूँ
आज भी याद आता है
कैसे तुम गाड़ी से निकल आये थे
बढ़ते मेरी ओर
आँखों से चश्मा उतार्
मुस्काए थे जब मिले
हमारे नैन थेसोचती हूँ तो लगता है
कैसे दिन बीत गए
कैसे एक अजनबी से
जन्मों के साथी हम बन गएपर आज भी वो पहली झलक तुम्हारी
ताजा मेरे ख्यालों में है
जब भी देखती हूँ तुम्हे
दिल में हलचल हो उठती हैसोचती हूँ कभी आज भी मैं
जाने क्या होता अगर
इंकार कर देते तुम उस दिन
करने को ब्याह मुझ से?क्या फिर भी यूँही मैं
हो जाति तुम्हारे प्यार मैं बावरी
या
होती कुछ ओर होती
स्थिति हमारी?पर जब याद आता है
हो तुम मेरे
और हूँ मैन तुम्हारी
ये एहसास ही बस
मन को मंजिश मैं डाल देती है
तुम्हारे होने का सुकून
और पास होने का एहसास
बढ़ती धड़कन मेरी
मुझे गुदगुदती, बहलाती, छेड़जाती हैऔर मैं बस शर्माती सी
तुम्हारे ख्यालों मैं डूबी
खुदके मुस्कते चेहरे को
और अपने माथे पे लगी
सिंदूर की लाली को देखती
रह जाति हूँ।।
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