जीवन है,तो जिम्मेदारी है पर मनुष्य का सबसे बड़ा कर्तव्य
होता है।कि अपनी जिम्मेदारियों को समय आने पर संभाल ले।
कभी-कभी हमें सपनों को ठीक वैसे ही छोड़ देना पड़ता है।
जैसे कि हमने कभी उसे छुआ ही नहीं हो
जीवन में अपने सपनों को त्याग कर चलते-चले जाना दुख नहीं देगा मुझे।मुझे दुख होगा तब जब कोई परिचित आवाज़
पुकारेगा मुझे पीछे से और मैं उसकी सुनने के लिए कुछ पल को रुक भी नहीं सकूंगा।
इन दिनों मेरे चेहरे पर जो हल्की सी मुस्कुराहट फैली दिख रही है।वह हंसी नहीं है।वह पीड़ा है,किसी से अपना दुख ना कह पाने की
पिता ने जितना बतलाया था।यह दुनिया अब उससे कहीं आगे पहुँच चुकी है,भीड़ का एक रेला है,जिसमें उतरना अनिवार्य है।
इस में शामिल हुए बिना नहीं पहुँचा जा सकता है कहीं।और उतरना सच में अपने को धीरे-धीरे खर्च करते चले जाना है।
एक ऐसी मौत की कतार में लगना है,जिसकी किसी को कानों कान तक ख़बर नहीं होगी।जैसे चुपचाप झड़ जाता है।दुनिया का सबसे सुंदर फूल।