ख़ैर...!एक अनोखी प्रेम-कथा

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Shorts-9-khair-An unusual love story(part-1)
ख़ैर…!(एक अनोखी प्रेम-कथा भाग-1)
मिर्ज़ा ग़ालिब ने फरमाया है,”मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले!”राहुल का भी दम निकल गया था उसे देख कर।शायद दुनिया की सबसे हसीन लड़की उसके पड़ोस के घर में रहने आ गई थी।
पहली दफ़ा राहुल ने उसे बगल के मकान की छत पर कपड़े फ़ैलाते देखा।नहा कर आई होगी।उसके बाल खुले और गीले थे।सफ़ेद सूट पर सफ़ेद दुपट्टा हवा में लहरा रहा था।राहुल कम्पटीशन की तैयारी कर रहा था और अकेले ही उस घर के ऊपर के कमरे में किराए पर रह कर रहा था।गाँव में सबको बड़ी उम्मीदें थीं उससे,आख़िर पूरे गाँव में बारहवीं की परीक्षा में अव्वल आया था।
 दिसंबर की गुलाबी ठंड में राहुल चटाई बिछाए छत पर धूप का आनंद भी ले रहा था और पढ़ भी रहा था।अचानक राहुल की किस्मत जागी,हवा ने साथ दिया और उस लड़की का दुपट्टा राहुल की छत पर उड़ कर आ गया।दोनो छतें भी मिली हुई थीं।राहुल की धड़कन ही रुक गई।एक अजीब सी गर्मी उसके पेट में और सीने में महसूस होने लगे।उसका दिमाग़ जैसे ऑटो-पायलट मोड पर चला गया।लड़कियों के मामले में राहुल बहुत शर्मीला था।इसीलिए अभी तक उसकी कोई गर्लफ्रैंड नही थी।
 इससे पहले कि राहुल कुछ सोचे,वो लड़की छत की दीवार पार कर अपना दुपट्टा उठाने आ गई।दुपट्टा उठा कर राहुल के पास आ गई।राहुल को समझ ही नही आया वो क्या करे?बस खड़ा हो गया।उसके चेहरे पर वही भाव था जो उस सिपाही के चेहरे पर होता है जो बॉर्डर पर दुश्मनों के बीच निहत्थे घिर गया हो।उसका अजीब सा रिएक्शन देख कर पंखुरी को हँसी आ गई।
 राहुल ने इतने क़रीब से इतनी ख़ूबसूरत लड़की कभी नही देखी थी।एकदम हूर की परी।पतली-दुबली और राहुल से दो-तीन इंच लंबी ही होगी।उस लड़की ने कहा,”Hello!I am Pankhuri.”राहुल सकपका गया,अंग्रेज़ी में न बोल पाना उसकी थोड़ी कमज़ोरी थी।फ़िर भी बड़ी हिम्मत जुटा कर मुस्कुराने की कोशिश करते हुए बोला,”Hi!Pankhuri!मैं राहुल!”पंखुरी ने बताया कि अभी पिछले हफ़्ते उसकी फ़ैमिली वहाँ शिफ़्ट हुई है।वो बारहवीं क्लास में सेंट एग्नेस में पढ़ती है और उसका एक बड़ा भाई है जो यूनिवर्सिटी में पढ़ता है।इतने में पंखुरी का भाई बॉबी अपनी छत पर आ गया।पूरा छः फ़ुट का पहलवान नुमा शरीर।नए फैशन वाली दाढ़ी-मूछ,गोरा-चिट्टा, एकदम फ़िल्मी हीरो टाइप।कड़क कर बोला,”पंखुरी,वहाँ क्या कर रही हो?”और वह भी मुंडेर पार कर राहुल के पास आ गया।राहुल को लगा पंखुरी के परिवार में सब लंबे और ख़ूबसूरत ही हैं।राहुल ख़ुद एक सामान्य क़द-काठी वाला सांवला सा लड़का था।राहुल अपने घर की आर्थिक स्थिति जानता था,इसलिए पूरी मेहनत और लगन से तैयारी कर रहा था।पर सामने इन दोनों को देख कर उसे इंफीरिओरिटी काम्प्लेक्स होने लगा था।पहनावे से भी वो लोग अमीर घर के लग रहे थे।
पंखुरी बॉबी से बोली,”भैया!ये दुपट्टा उड़ कर यहाँ आ गया था,उसी को लेने आई थी!”बॉबी ने कहा,”ठीक है,जा,माँ तुझे बुला रही है!”पंखुरी ने राहुल को मुस्कुराते हुए वेव किया और चली गई।बॉबी वहीं चटाई पर बैठ गया और राहुल से बातें करने लगा।
बॉबी(राहुल की किताबें देखते हुए)-कोई तैयारी कर रहे हो क्या?
राहुल-जी,सिविल सर्विस की!
बॉबी ने जेब से सिगरेट की डिब्बी निकाली और राहुल की तरफ़ बढ़ा दी,”पियेगा?”
राहुल-जी मैं नही पिता।
बॉबी(हँसते हुए एक सिगरेट जलाता है)-क्या नाम बताया?
राहुल-राहुल
बॉबी-मैं पंखुरी का बड़ा भाई हूँ।यूनिवर्सिटी में किसी से भी पूछ लेना,सब मुझे जानते हैं!बुलेट वाले बॉबी भैया के नाम से!”कह कर बॉबी आत्म मुग्ध सा हंस पड़ा और राहुल के कंधे पर भारी-भरकम हाथ रख कर बोला,”बेटा!मेहनत कर,कुछ बन के दिखा!सारा ध्यान पढ़ाई में ही लगाना,बगल वाली छत पर नहीं, समझे!”कह कर मुस्कुराते हुए वापस अपने घर की छत पर चला गया।
राहुल बॉबी की बातों से थोड़ा डर गया।पर उसे पंखुरी का वो मुस्कुराता चेहरा नही भूल रहा था।वो वहीं चटाई पर लेट गया और पंखुरी के बारे में सोचने लगा-‘कितनी सुंदर लग रही थी सफ़ेद सूट में।उसकी मुस्कुराहट…जैसे फूल झर रहे हों।उसकी आँखों में कितनी चमक और शैतानी सी भरी थी।और उसकी भौहें,कितनी कटीली थीं,जैसे तलवार हो कोई।और जाते समय उसका हाथ हिला कर वेव करना।कहीं मैं भी तो उसे पसंद नही?’राहुल के दिमाग में अब सिर्फ पंखुरी थी।उसने अपनी किताबें उठाईं और एक बार बगल की छत पर देखा।वहाँ सिर्फ़ सन्नाटा था और पंखुरी के कुछ कपड़े स्टैंड पर सूख रहे थे।
राहुल अब दिन-रात पंखुरी के बारे में ही सोचता।आँख बंद करते ही उसका वो मुस्कुराता चेहरा उसके सामने होता।कभी वो कल्पना करता कि पंखुरी के साथ किसी पार्क में टहल रहा है और पंखुरी ने धीरे से उसका हाथ पकड़ लिया।इस कल्पना से ही राहुल को बुखार जैसा चढ़ जाता।अब उसका पढ़ने में भी मन नही लगता।रोज़ राहुल छत पर अपनी किताबें ले कर बैठता और पढ़ने का दिखावा करता,पर उसकी नज़र बगल वाली छत पर ही रहती।तीन दिन से पंखुरी दिखाई नही दी।राहुल के लिए एक-एक पल भारी पड़ रहा था।एक बार दिख जाए बस।
 आख़िर राहुल की तमन्ना पूरी  हो ही गई।आज उसे पंखुरी नज़र आई।अपनी छत पे खड़ी इशारे से राहुल को बुला रही थी।राहुल को पंखुरी को देखते ही फिर वैसा ही बुखार जैसा चढ़ आया।आज तो वो और सुंदर लग रही थी।उसने बिंदी लगाई थी,लाल लिपस्टिक लगाई थी और बाल भी सेट करवाए थे।राहुल थोड़ा असमंजस में दीवार के पास गया।पंखुरी बोली,”हाय राहुल!कैसे हो?अच्छा बताओ मैं कैसी लग रही हूँ?”राहुल सकपका कर बोला,”अच्छी लग रही हो!”फिर इधर-उधर देख कर बोला,”वो बॉबी भैया!”पंखुरी हँसने लगी,”अरे तुम भैया से इतना क्यों डरते हो?अच्छा ये बताओ तुम मुझे थोड़ी मैथ्स पढ़ा सकते हो?”
राहुल-हाँ ज़रूर!पर बॉबी भैया?”
पंखुरी-तुम सच में घोंचू हो(हँसते हुए)भैया से मत डरो!उन्हें पता भी नही चलेगा!मैं अंधेरा होने पर तुम्हारे रूम में आ जाऊंगी छत के रास्ते से,ok!”
 राहुल इस प्रस्ताव से घबरा सा गया।बोला,”पर तुम भैया से या अपने मम्मी-पापा से पूछ लो,वो पता नही क्या सोचें?”पंखुरी राहुल का चेहरा देख कर फिर हंस पड़ी और बोली,”तुम इन सब की टेंशन मत लो!शाम को सात-आठ के आस-पास आऊंगी!”इतना बोल कर वो चली क्रमशः अगले भाग में।
-पिंगाक्ष त्रिपाठी

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