शॉर्ट-2- आखिरी कारतूस
गोलियों और बमों की आवाज़ में कुछ सुनाई नही दे रहा था।बस कुछ लोगों के घायल हो कर चिल्लाने की आवाज़ें उसके मन को उद्वेलित कर रही थीं।कई घंटों से वो उस गड्ढे की झाड़ियों में छिपा था।उसका मन बार-बार कहता,”बाहर निकल और इन दुश्मनों को मार या ख़ुद देश पर शहीद हो!कब तक यहाँ छिपा रहेगा!”
उसने देखा उसकी कंपनी का बंकर दुश्मन के गोले से नष्ट हो चुका था।वायरलेस सेट पर कमांड पोस्ट से बार-बार संदेश गूंज रहा था,”हमारे लड़ाकू विमान आपकी मदद के लिए आ रहे हैं!बहादुर जवानों!किसी तरह दुश्मन को रोक कर रखो!”
उसने अपनी बंदूक की मैगज़ीन फिर देखी।केवल एक कारतूस बचा था।इतना मजबूर उसने ख़ुद को कभी महसूस नही किया था।पर उसने दृढ़ निश्चय किया,इस आख़िरी कारतूस को बर्बाद नही होने देगा।थोड़ी दूर पर एक छोटी पहाड़ी पर से गोलियां चल रही थीं जिससे उसके कई साथी वीर गति को प्राप्त हो चुके थे।उसने कुछ सोचा।उसका निश्चय दृढ़ था।अंतिम बार उसने अपने परिवार को याद किया और देश की मिट्टी का तिलक किया।छिपते-छिपाते वह उस पहाड़ी के पीछे पहुंचा और दबे पाँव ऊपर चढ़ा।दुश्मन का एक स्नाइपर वहाँ पोजीशन ले कर गोलियां चला रहा था।उसने वो आख़िरी कारतूस उस स्नाइपर पर चला दिया।गोली सीधे स्नाइपर की गर्दन के पीछे लगी और वो वहीं ढेर हो गया।
उसने तुरंत अपनी बंदूक रखी और स्नाइपर पर पोजीशन ले ली।पर उसे पता नही था पास में ही दुश्मन का दूसरा स्नाइपर भी छिपा था।जैसे ही उसने स्नाइपर की दूरबीन से देखा,कई गोलियां एक साथ उसके शरीर को बींध गईं।उसे लगा उसका शरीर छूट गया है और वह आसमान में तैर रहा है।तभी उसके आत्म-सम्मान ने कहा,”नहीं!तुझे ऐसे नही मरना है!”अचानक उसके शरीर में थोड़ी जान आई।दुश्मन का दूसरा स्नाइपर उसकी तरफ आ रहा था जिसके हाथ में पिस्टल थी।जैसे ही वह सामने आया,इसकी स्नाइपर फिर चल उठी और दुश्मन का दूसरा स्नाइपर वहीं ढेर हो गया।इतने में लड़ाकू विमान आ गए और दुश्मन के सभी ठिकाने ध्वस्त करने लगे।
अब उसे चैन आया,होठों पर मुस्कुराहट आई,और उसका शरीर जैसे फिर से हवा में उड़ने लगा।नीचे उसे अपनी ही लाश दिखाई दी।उसने उसे सलूट किया और फिर कभी न आया।
-पी.शाण्डिल्य।
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Shorts-2-आखिरी कारतूस
AdventureStory of a soldier who has only one cartridge left in his gun.He is in a battlefield.He has to take a quick decision.