वो नन्ही सी चिडिया, उसकी प्यारी सी गुड़िया ,अब बिता सा लम्हा हुई ।
ऐसी है ये कहानी , जिसमे परियों की रानी, ऑंगन को छोड़ चली।।
सुबह का सवेरा, दिल का सुकून, सब संग अपने बहा ले गयी।
सुना के एक कहानी, लिए आँखों में पानी, बिटिया तो विदा हो गयी।।
ऐसी रूठी रे चिरैया, अपनी नहीं सी गुड़िया, भी अपने संग ले गयी।
किया था उसने ये वादा, खुद के लिए था लड़ने का इरादा, फिर क्यों बिटिया अबके खामोश ही रह गयी||
अपने हक़ के लिए हर किसी से लड़ी वो, पर अपनों से ही न लड़ सकी वो, तो हार कर इस जहाँ से अलविदा कह गयी।
आँखों में लिए उम्मीदों के आंसू , सपनों को जीने की दिल में लिए आरजू, वो बिटिया सदा के लिए है सो गयी||
कह कर गयी है वो चिड़िया, वो फिर आएगी महकाने को तेरी बगिया, पर जब उसे सपनों को जीने की आजादी मिल जायेगी|
तब वो नन्हीं सी चिड़िया, वो जो रूठी थी गुड़िया, फिर से इस आँगन में मुस्कुराएगी।।