मै हम और अहम

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मेरी ✍️ से

मैं हम और अहम
मैं मानती हूँ तुम बहुत प्यार करते हो

पर जब बात अधिकार की हो

माथे पर पड़े पसीने सा झटक देते हो

मैं मानती हूँ तुम बहुत परवाह करते हो

पर जब बात खुद की ज़रूरत की हो

कानों के होते भी बहरे हो जाते हो

मैं मानती हूँ तुम हर बात साँझा करते हो

पर जब बात घर के फ़ैसलों की होती है

दूसरे घर की कहकर ,मुझे परायी कर देते हो

मैं मानती हूँ तुम मेरे लिये सब छोड़ सकते हो

पर जब बात तुम्हारे अहम की हो

बंदर के मरे बच्चे सा सीने से चिपकाये रहते हो

मैं मानती हूँ तुम बहुत मेरे बहुत क़रीब हो

पर जब मैं पास आती हूँ

तुम पर हावी आदमियत हमारे बीच आ जाती है

हम में से मैं और तुम कोई दो नहीं है

अगर इस अहम को पुराने कपड़े सा उतार फैंके

तो तुम्हे मानना ,मेरा रूठना फिर मान जाना

एक मीठे संगीत सा जीवन मे बजता रहेगा

उस मीठे गीत संगीत की धुन से

और प्यार की शमा की रोशनी में

घर में ही हर दिन कैंडल लाईट डिनर होगा

साथ ही जीवन में अलौकिक उजाला होगा

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⏰ Last updated: Jul 11, 2021 ⏰

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मैं हम और अहमWhere stories live. Discover now