रांझे का क्या हे इश्क भी एसे करो की हीर भी मानजाए .... मौलाना का क्या हे .....इबादत भी इसे करो की आल्हा भी मुतासिर होजाए कोई कुछ भी कहे.... मोहोब्बत भी इसे करो की कायनात सुलग जाए लोगो का क्या हे... चाहत भी इसी रखो की किस्मत भी पलट जाए दिल की सुनो .... उसकी तपस्या भी येसे करो की ईश भी प्रश्न होजाए उसे कहना ... रातों का सुकून भी हे ...दिनों की राहत भी वही ही.... बाकी समय का क्या हे.... साथ रहे तो खुशी ....और ना होतो आसुओं की सौगात होजए।।