अलग होती हैं क्या, ये यादें किसी सपने से ? शायद नही !....... कभी दुख, कभी सुख , कभी नादान , कभी परेशान तो कभी बेईमान सी कभी दुख रुपी सागर में तो कभी आनन्द की सम्पूर्ण अनुभूति दिलाने की आतुर होती हैं ये हमारी यादेँ कभी डरावनी साया सी कभी बचपन की हसीन यात्रा कराती हैं ये यादें ये यादेँ ही तो हैं जो हमें हमारे अतीत से जोड़ती हैं। सपनों का क्या है! वह तो गुलाम होती हैं नींद की...... ये यादेँ ही तो है, जो सबसे अलग सबसे जुदा सबसे हसीन पल को समेटे हमे हमारे अतीत का सैर कराती हैं मेरी भी कुछ यादें हैं आपकी तरह ही जिसमें से कुछ यादें मैं "अनोखी यादों" के माध्यम से आपको सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं, इस उम्मीद के साथ कि आप इसे बहुत सारा प्यार और स्नेह देंगे । Thank you Prasahni कभी