क्रिकेट कल आज और कल

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क्रिकेट   कल आज और कल
हिंदुस्तान में बहुत अच्छा मन से खेल खेलने वाले लोग
हमेशा अच्छा नाम कमा लेते हैं पैसा जमा कर लेते हैं
बहुत ही अलग अलग खेल है उसमे एक क्रिकेट है
हाल ही में में एक बहुत ही अच्छी किताब पढ़ रहा था
उसमे लेखक ने बड़ी तत्परता से इस विषय की महफिल सजाई है यह एक अच्छा विकल्प हैं
जो पढ़ कर तुरंत इस विषय के टाइटल को लिखना स्वाभाविक रूप से न्यायिक लगता है democrasis इलेवन बाय राजदीप सरदेसाई मराठी version
बहुत सुंदर भाषा का प्रयोग किया है लेखक कवि जब भी लिखता है अगर तुरंत अपने चक्षपटल पर जो चित्र
दिखता इसे लेखक कवि की सुंदर शब्द कारण हो सकते हैं 11 ऐसे लोग हैं क्रिकेट में और उनके साथ
जो बड़े हु ए ऐसे व्यक्ति एक बहुत बड़ी भूमिका निभाई है राजदीप सरदेसाई सर ने
दिलीप सरदेसाई सर जो राजदीप सरदेसाई के पिता थे
वैसे राजदीप सरदेसाई भी परदेश में सीखने के लिए गए क्रिकेट भी बहुत खेलते थे जब अब्दुल कादिर ने
उनका अपमान किया तो और भी बहुत कारण हो सकते हैं क्रिकेट छोड़ दिया
दिलीप सरदेसाई ने जिस तरह खेल खेला क्रिकेट में वापसी के लिए जो स्ट्रगल किया उसे वर्णन किया है
किस तरह राज कारण हुआ करता था
उनकी वेस्ट इंडीज दौरे में हुए विजय के बारे में
गोआ से मुंबई में आने का निर्णय नेहरू ने उनके बारे मे क्या कहा और भी बहुत अनुभूति का विवरण लिया है 1960 से 1970 करीब बारह वर्ष क्रिकेट खेला गया दिलीप सरदेसाई के द्वारा पटौदी जैसा कर्णधार वाडेकर सर जैसा मित्र बहुत बार बॉल का लगना
वेदना बड़ी हुई उनके घर के सामने हिन्दू पारसी और इस्लाम जिमखाना क्लब थे  क्रॉस मैदान लकी था
ऐसा यह गोवा का गौड़ सारस्वत ब्राह्मण क्रिकेट धूम
मचा कर जो गोवन स्पिरिट मुंबई स हार्ट और India's सौल 2007 में ईश्वर के पास गए अपनी एक अलग छवि छोड़ कर

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