🌠अब जो हिम्मत हारोगे !🌠

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इतनी रातें जगे हुए तुम अब जो हिम्मत हारोगे, 

सँवरे सपने, सँवरा तू, 

सँवरे सपने सँवरा तू, 

इन्हें कचहरी में जब उतारोगे, 

इतनी रातें जगे हुए तुम अब जो हिम्मत हारोगे !

 राह के दर पे खड़े हुए जो सपने रोज़ सजाए  हैँ, 

हर मुश्किल में मुस्कारकार जो जोश से भरते आए  हैँ !

           हर पन्ने पर नई कहानी, हर चित्र में सपना है, 

           इक बार सोच तू ज़रा बैठ,  

इक बार सोच तू ज़रा बैठ क्या कहीं झँकझोरा  सपना अपना है, 

 हो समय, तो बस एक बार....

हो समय तो बस एक बार पन्नों को पलटकर देख ले ज़रा, 

 अपने अंदर की आग ही सही, 

अपने अंदर की आग ही सही, उसपर साहस को सेक ले ज़रा,  वो सहमा सा तुझमे रहता है, 

तू कभी बैठकर पूँछ ज़रा, 

नसीब तेरा तू बुलंद, 

नसीब तेरा तू ही बुलंद, तू खामियां संजोता क्यों रहता है !

हर मोड़ पे खड़े क्या उस खुदा के संग वफ़ा होगी??    

मासूम मन,  मन बुलंदियों वाले 

क्या उस अस्तित्व के संग ना दगा होगी???? 

   

कोशिशों ने तेरी आज तक सिर्फ सर चढ़कर बोला है, 

हर इम्तिहान में सजग हुई आज  उन्ही उतावली चीखों ने क्यों लक्ष्य के केवल दो कदम पहले ही दम तोड़ा है !!!

            अरे हर कोशिश को क्या तुम अपनी, 

            यूँ  घोंट कर मारोगे, 

इतनी रातें जगे हुए तुम अब जो हिम्मत हारोगे !!!!!

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द्वारा :- कोमल शर्मा (◍•ᴗ•◍)✧*。
कृति दिनांक :- जनवरी 12, 2020
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⏰ Last updated: Jun 05, 2021 ⏰

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