💝🙅💝 POEM 💝🙅💝

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हवाओं में उड़ती, फिजाओं में झूमती..
डालो पे चहकती एक दासता हुँ मैं..

किताबो में पन्नो के बीच शब्दों से बँधी हुई..
खामोशि के बीच एक आज़ाद सा अर्थ हुँ मैं..

लहरों से चलती, नदियों से मिलती..
प्यास भुझाती कल कल सी आवाज़ हुँ मैं..

हाँथो में प्यार लिए, लोगों को दिल दिए..
उमंग फैलाती एक अग्नि से भरी दिपक हुँ मैं..

सपने लिए , सपनो को जीती...
ख़ुद को ढूढ़ती, ख़ुद को पाती एक अफ़साना हुँ मैं...

रानी लक्ष्मीबाई की तलवार , मदर टेरेसा का स्वभाव..
भारत माता की बेटी , धरती माता का सम्मान हुँ...

तुम्हारी आँखों में पैरों की बेड़ी, बिस्तर का स्नान हुँ...
मैं वो नही जो तुम्हें दिखाई देती हुँ...
मैं वो नही जो तुम्हे सुनाई देतीं हुँ...
आँखों से परे, तेरी सोच से बाहर...
ख़ुद के संग जीती एक इंसान हुँ मैं..
हाँ सही कहा, एक बेटी हुँ मैं.....

Please comment what line are you like? धन्यवाद।।।

# बेटी #Where stories live. Discover now