मखमली रात थी
दिल में उसकी याद थी
ना अंधेरे का डर था
ना सुबह होने की जल्दी
फिर भी बेचैनी सी छाई थी कि
नजाने अगली मुलाक़ात कब होगी?सोचती थी कि जब वो आएगा
तो कैसा समा होगा
फूलो की बहार होगी
या हवाएँ रूख बदल देंगी?पर जब वो सामने आया
ना फूलो की बारिश हुई
ना हवा तेज़ हुई
लेकिन इस दिल का हाल कुछ यू था
के उसके सामने ख़ुदा हैंबात करने कि चाह थी
पर था तो यह दिल शर्मीला
जब हुई बात उससे तो लगा
क्या है इसके बिना जीना?मगर ऐसा आया एक पल
जब लगा कि यह बस एक ख़ाब हैं
जिसका ना सपनो में जगा है
ना असल ज़िंदगी मेंपर कमबख़्त यह दिल
मानने को था ना तैयार
कहा की इस ख़ाब ने
नयी ज़िंदगी दी है
जो दूर हो कर या पास
ना होगा कमज़ोरजिस प्यार ने नयी ज़िंदगी दी हो
वो कभी अधूरा ना होगा,
इसका भरोसा दिल को था
जब दिमाग ने ठन ली थी
की यही हाई हमारा अंतअब जो होगा वो
ना मुझे पता ना उसको
लेकिन इस दिल का कहना हैं
की हम मिलेंगे ज़रूर
शायद इस दुनिया में
या कही औरमखमली रात थी
दिल में उसकी याद थी
ना अंधेरे का डर था
ना सुबह होने की जल्दी
फिर भी बेचैनी सी थी
नजाने उससे अगली मुलाक़ात कब होगी?
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A book of poems and stuff
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