Patang azadi ki -- पतंग आज़ादी की

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िमल कर सारा देश

पहन कर रंग िबंरगे वेश

मना रहा िदन आज़ादी का

िदन! खुली हवा में साँस लेना.

िदन !अपने मन की बात कहने का

िदन! अपने िदल की कुछ कर गुजरने का

दूर आकाश में उड़ती रंग-िबरंगी पतंगें अनेक

देती सबको खुली हवा में जीनें का संकेत

खुला गगन , खुली िदशाएँ चारों ओर

न जाने ,हवा ले जाए िकस ओर!

सधे हाथों से सँभालें डोर

डोर! िजसका न कोई ओर ,न छोर!

िदल की खुिशयाँ दरशाती

िदल की उम्मीदें जगाती

जब जब हवा में तेज- तेज लहराती

कट जाने के डर से घबराती,

उड़ती जाती दूर बहुत दूर

आँखों को करती थकन से चूर

मँजिल है अभी दूर बहुत दूर

नहीं कहीं डरके रूकना

आगे और आगे बढ़ना

थकन के डर से नहीं थमना!

दुश्मन एक नहीं हैं अनेक

लड़ने को दुश्मन से होना होगा एक

थके एक हाथ तो क्या?

१०० करोड़ के दो -दो हाथ !

क्या न देंगे इक- दूजे का साथ?

ये पतंग आज़ादी की हमारी उड़ती रहे सदा यूँही

दूर गगन में देखे सारा संसार यही!

हो कर सुचेत डोर को पकड़ना होगा

बाज़ िनगाहों से होगा देखना

भूल से जो गर कभी लग जाए पेचा-

लाखों शहीदों जैसे हो जाएगें कुरबान

ये आज़ादी की पतंग हमारी आन हमारी शान ।

The end

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⏰ Last updated: Nov 16, 2014 ⏰

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पतंग आजंादी की patang Ajadi kiWhere stories live. Discover now