कुछ तो केहना होगा मुझे,
इतना शोर जो बसाया है मैंने |
बहस वैसे ही जारी रेहती है अंदर,
कभी एक तो ख़याल केहना होगा मुझे !
आँखों मे, ज़बाँ पे है सन्नाटा,
जज़्बात मे, जिस्म की आग मे है सन्नाटा,
इतने वाक्यों हैं, वाक़िए मानो सदियों के,
परत पे कैसे हो सकता है ऐसा सन्नाटा !
चाहती हूँ मैं सुकूँ भरी मेरी आवाज़,
साकिन से भरा मेरा शोर |
पर यही हकीकत है आज मेरी,
रेहती हूँ मैं शोर भरे सन्नाटे मे |
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Night Poems
PoetryPoems are one way to express oneself. My story, 'Night Poems' contains my expressions. Usually for me, night is the best time to talk to myself and these conversations have created these poems.