शोर भरा सन्नाता

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कुछ तो केहना होगा मुझे,

इतना शोर जो बसाया है मैंने |

बहस वैसे ही जारी रेहती है अंदर,

कभी एक तो ख़याल केहना होगा मुझे !


आँखों मे, ज़बाँ पे है सन्नाटा,

जज़्बात मे, जिस्म की आग मे है सन्नाटा,

इतने वाक्यों हैं, वाक़िए मानो सदियों के,

परत पे कैसे हो सकता है ऐसा सन्नाटा !


चाहती हूँ मैं सुकूँ भरी मेरी आवाज़,

साकिन से भरा मेरा शोर |

पर यही हकीकत है आज मेरी,

रेहती हूँ मैं शोर भरे सन्नाटे मे |

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⏰ Last updated: Aug 10, 2018 ⏰

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