दुपट्टा

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रेशा रेशा ,डोर डोर,
मेरा दीवाना है,
ये तेरा दुपट्टा नहीं,
मेरे इश्क़ फरमाने का सामियाना है,

उड़ता हुआ चला आता है,
जब भी उछालो तुम,
यह हमारे अच्छे पलों का खजाना है,
प्रिये,ये तुम्हारा दुपट्टा नहीं,
मेरे इश्क़ फरमाने का सामियाना है,

सावन की हँसी, वसंत की चहचहाहट,
जाड़े की धुप, जुलाई का बारिश,
हर प्यार के मौसम में हमारा आशियाना है,
प्रिये,ये तेरा दुपट्टा नहीं,
मेरे इश्क़ फरमाने का सामियांना है,

ये तुमने कहकहा लगाया,यह मैंने हंसा अभी अभी,
फिर तुमने कुछ कहा, कुछ मैंने भी कह डाला अभी अभी,
यह हमारे प्यार भरे शब्दों से भरे हर चिठ्ठी का डाकखाना है,
प्रिये,ये तेरा दुपट्टा नही,
मेरे इश्क़ फरमाने का सामियाना है,

तुमने झाँका मेरे आँखों में और खो गए,
मैंने झाँका तुम्हारे नजरों में और मैं भी खो गया,
एक अजब सी खुमारी छा गयी हमपर,
यह हमारी हर खुमारी से पटा मैख़ाना है,
प्रिये,ये तेरा दुपट्टा नहीं,
मेरे इश्क़ फरमाने का समियाना है...

                                           _अंकित सिंह हर्ष






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