अपने प्यार के बदले में नहीं उपहार चाहती हूँ ....
जीवन भर का साथ मिले बस यही उपकार चाहती हूँभोर तुम ही से हो मेरी और साँझ तुम ही पर ढल जाए.....
प्यार हमारा ऐसा हो कि सारी दुनिया जल जाए .....
तुम्हें समर्पित मैं अपना सारा संसार चाहती हूँजीवन भर का साथ मिले बस यही उपकार चाहती हूँ
मेरी हर अरदास में हो तुम, मुझे बस तेरी फिक्र हो.....
तेरी आँखों से अपनापन छलके,जब जब मेरा जिक्र हो.....
मैं तुम पर अपना बस इतना अधिकार चाहती हूँजीवन भर का साथ मिले बस यही उपकार चाहती हूँ
राधा-रूकमणी के जैसा नहीं तो मीरा के जैसा ही सही ,
प्रणय निवेदन मेरा तुम करो स्वीकार चाहती हूँजीवन भर का साथ मिले बस यही उपकार चाहती हूँ