बनारस (उत्तर प्रदेश) :-
बारिश का मौसम और साथ में चाय का कप पकडे शंकर एक ही दिशा में देख रहा था ,की तभी किसी की पायल की आवाज सुन कर उसके होठों पे एक मुस्कुराहट आ गयी l दुर कुछ लड़कियाँ उसके और आ रहे थे l शंकर चुप चाप आ कर वही पड़े बेंच के ऊपर बैठ गया और चाय पीने का नाटक करने लगा l उन लड़कियों में से एक लड़की चाय के टपरी के पास आ कर रुक गयी और बाकी सब आगे बढ़ गए ,जैसे कि उन को पता था ये होने वाला है l वो लड़की जिसका नाम सती है ,अपने बैग को बेंच के ऊपर रख कर चाय वाले के पास गई l
"भैया एक कप चाय",
सती ने बहुत शांत स्वर में कहा और आ कर बेंच पर बैठ गई l उसने अपने बैग में से एक किताब निकला जिसके ऊपर सुनहरे अक्षरों में लिखा था ," मेरी मोहब्बत" l वो किताब को खोल कर पढने लगी,उसके पास में बैठा शंकर उसे चोरी छुपे अपनी कनखियों से देख रहा था l ये अक्सर हो रहा था , दोनों ही अक्सर पास बैठ कर चाय पिते थे , लेकिन दोनों ही इस से अंजान थे l या यू कहे सती इस से अंजान थी l उसका पूरा ध्यान उस किताब को पढने में व्यस्त था l उस किताब में लिखी कुछ लाइन की वजह से उसकी होठों पे मुस्कुराहट आ गयी l वो लाइन थी,"दुनिया की सारी खुशियाँ तेरी कदमो में रख दू ,
तेरी हंसी का एक वजह मैं खुद में रख दूं ,
तुझे देखता रहु सबेरा से ले कर शाम तक ,
एक तेरी ही एहसास को अपनी रूह में सजा कर रख दूं ........ये लाइन पढ़ कर सती को बहुत अच्छा लगा l कुछ देर बाद चाय खतम कर, किताब को बैग में रख कर वो खडी हो गई l उसने दुकान वाले को पैसे दिए और वहां से आगे बढ़ गई l बेंच पर बैठा शंकर सती को जाते हुए देख रहा था l उसके हाथ में पकड़े चाय का कप सती के आने से पहले ख़तम हो चूका था l वो जाती हुई सती को देख कर बोला ,
"अब दिल हमसे ये कहने लगा है ,
कोई हमको बेपनाह चाहने लगा है" .....
ये कह कर वो मुस्कुरा दिया और दुकान वाले को पैसे दे कर वहां से चला गया lशाम का वक़्त (अस्सी घाट):-
आज अस्सी घाट पर बहुत चेहेल पहल थी ,रोजाना की तरह बहुत भिड था यहाँ पर l गंगा आरती सब देखने आये थे l हबा तो चल रही थी यहाँ पर लेकिन हबाओं में सुकून भी बेह रहा था , जो सबकी दिल को छु कर गुजर रहा था l इन भिड में से सती हाथ जोडे भगवान को प्रार्थना कर रही थी l इस बात से अंजान दो काली गहेरी आँखें उसे ही घूर रहे थे , ये संकर था l जो इतने भिड में भी इतने शिद्दत से सती को देख रहा था l कुछ अलग था उसके आखों में , कुछ अलग प्रकार का कशिश l आरती शुरू हो चूका था l सब इस पवित्र गंगा आरती में खो गयेl बहुत शांति था वहां पर ,एक अलग तरह की सुकून जो दुनिया की किसी भी कोने में मिल नहीं सकता l सच में आरती बहुत ही ज़्यादा ख़ूबसूरत और मनमोहक था l
(अगर आप कभी बनारस गए तो इस पवित्र गंगा आरती को देखना मत भुलना ,इसे देख कर ही आपका बनारस का सफर पूरा होगा)
आरती कब ख़त्म हुआ किसी को भी पता नहीं चला l आरती के ख़तम होने के बाद वहां से भिड़ भी धीरे धीरे कम होने लगी l सती ने आँखें खोली और घाट की और चल पड़ी l पता नहीं क्यू उसकी आँखों में एक उदासी थी ,एक खालीपन थी l अस्सी घाट पे आ कर वो सीढ़ियों पर बैठ गई और ऊपर आसमान को देखने लगी l वहां का परिवेश बहुत ही शांत और सुकून दायक था, लेकिन सती का मन बहुत बेचैन था l उसने अपने फ़ोन में से एक वेबसाइट और पढ़ने लगी ,
"वो शाम की मुलाक़ात ही क्या,
जिस में दिल धड़का ना हो .
सुकून तो तब है चाहत में ,
जब मोहब्बत में इंतज़ार हो ".......इस लाइन को पढ़ कर उसे थोडा अच्छा लगा l वो सामने बहती गंगा को देख कर कहने लगी ,
"मोहब्बत में चाहत तो है ,अब इंतज़ार भी होगा ,
पता नहीं कब मेरी प्यार का इज़हार होगा "......Swagatika Mohanty ✍️