आजादी को हम सबने अब खेल बना रखा है।
क्यों दिलों में हमने नफरत को जगा रखा है।
क्या सब भूल गए आजादी की कुरबानी को।
क्यों जानो की कीमत को हम सबने भुला रखा है।
हिंदू मुस्लिम के दंगों को तुमने हवा दे रखा है।
जल जाएगा देश अपना जो भाई को भाई से लड़ा रखा है।
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दिलो की नफरत
Poetryआजादी को हम सब ने अब खेल बना रखा है क्यों दिलों मैं हमने नफरत को जगा रखा है क्या सब भूल गए आजादी की कुर्बानी को क्यों जानू की कीमत को सबने भुला रखा है हिंदू मुस्लिम के दंगों को तुम हवा जो देते हो जल जाए गा देश अपना जो भाई को भाई से लोड़ा रखा है
दिलों की नफरत
आजादी को हम सबने अब खेल बना रखा है।
क्यों दिलों में हमने नफरत को जगा रखा है।
क्या सब भूल गए आजादी की कुरबानी को।
क्यों जानो की कीमत को हम सबने भुला रखा है।
हिंदू मुस्लिम के दंगों को तुमने हवा दे रखा है।
जल जाएगा देश अपना जो भाई को भाई से लड़ा रखा है।