दिलों की नफरत

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आजादी को हम सबने अब खेल बना रखा है।
क्यों दिलों में हमने नफरत को जगा रखा है।
क्या सब भूल गए आजादी की कुरबानी को।
क्यों जानो की कीमत को हम सबने भुला रखा है।
हिंदू मुस्लिम के दंगों को तुमने हवा दे रखा है।
जल जाएगा देश अपना जो भाई को भाई से लड़ा रखा है।

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⏰ Last updated: Aug 15, 2023 ⏰

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