मैं टूटा हुआ आशिक हुँ,मैं इस दुनिया से वाकिफ हुँ,
जो में नहीं कर पाया था पहले मैं अब उसके भी काबिल हुँ,
जाने के बाद उसके, बन गया में पत्थर का,
चौबीस का होते हुए भी, लगता था में सत्तार का
अब मैंने रोना छोड़ दिया, अब नहीं में रोता,
अब तो दिल है जगता, और तन है सोता,
तुम जो छोड़ के चली गई, सोचा पैसा तो क्या ही कमाउंगा,
पर जिस कंपनी में काम करता होगा तेरा पति,
उसी कंपनी का बॉस बन जाउंगा|
मैं टूटा हुआ आशिक हुँ,मैं इस दुनिया से वाकिफ हुँ,
जो में नहीं कर पाया था पहले मैं अब उसके भी काबिल हुँ,
अब प्यार सच्चा नहीं होता,अब तो सब देखते हैं पैसा,
फिर कहते हैं कि कोई और ना मिले इसके जैसा,
तो दिल तोड़ के चली गई, ले गई सांस भी,
पर वो कामबख्त ले जा ना सकी जीने की आस भी,
भुल कर अपने कल को, में फिर से उठ जाऊंगा,
करूंगा फिर मेहनत में, इतना पैसा कमाऊंगा,
जो सहेली तेरी होगी सबसे सुंदर,
उसी के घर में रिश्ता लेकर जाऊंगा
मैं टूटा हुआ आशिक हुँ,मैं इस दुनिया से वाकिफ हुँ,
जो में नहीं कर पाया था पहले मैं अब उसके भी काबिल हुँ|
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Ek dard
PoetryThis poem is about how, a girl leaves for boy for money, but later she regrets her actions I don't promote hate with any of my creations.