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दरवाज़े पर एक जोरदार आवाज हुई, मानो किसी ने चोखट पर बम फोड़ दिया हो। यह आवाज इतनी तेज थी कि मैं भी डर सा गया।

फिर भी मैं उठ खड़ा हुआ, और जल्दी से दरवाजा खोला। मुझे ऐसी उम्मीद थी कि दरवाजे पर जरूर कोई खून से लिपटा हुआ आदमी खड़ा होगा।

मगर नही।

मेरी नजरों के सामने एक दरोगा खड़ा था, उसके हाथ में एक डंडा था और वह अपनी वर्दी में एक काबिल नवयुवक लग रहा था। उसके आंखें मानो मेरे घर में कुछ खोज रही हो।

"आप मोनू के पिताजी हैं?" तभी मेरी नजर हमारे पड़ोसी शर्मा जी पर पड़ी, मानो की उन्होंने ही हमारे घर का रास्ता पुलिस को बताया हो।

"हा, मगर क्या हुआ?" मुझे खुद नहीं समझ आ रहा था कि मैंने यह क्या पूछ लिया। बस मैंने सारी कोशिशें अपने दिमाग को स्थिर करने में लगा दी। मेरी जुबान पर मेरा बस नही था, मेरी सांसे मेरे संभालने पर भी नही रुक रही थी।

"आपके बेटे से हमें पूछताछ करनी है, आप बस शांति से हम अपना काम करने दीजिए और अपने बेटे को बुलाइए" मामला संगीन लग रहा था। शर्मा जी के आंखों में भी मैं एक दुख देख पा रहा था। मोनू मेरे आवाज देने से पहले ही आ पहुंचा, शायद उससे भी उस दरवाजे की खटखटाहट ने डरा दिया था।

उसके बाद मेरे ठीक सामने उस पुलिस वाले ने काफी मीठी बाते बोली। बड़ी कोमलता के साथ उसने मेरे बेटे से कल के पूरे दिनचर्या का उलैख उससे ले लिया। ये सारी बाते सुनकर मेरी पत्नी ने मुझे देखा और बिना किसी संदेह वो भी चीज़ों को समझ नही पा रही थी।

"क्या तुम कोमल को जानते हो?" ये सवाल सुनते ही मोनू अलग ढंग से खड़ा हो गया। और बिना कुछ वक्त गवाए अपनी सफाई दी।

"उसने मेरे साथ क्रिकेट खेलने से मना कर दिया इसीलिए मैंने उसका सेक्स कर दिया।" अगर मरना आसान होता, तो मैं उस क्षण मार जाता। मेरे दिमाग के सारे हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने कभी जन्म भी लिया हो।

"वो बहुत खराब लड़की है, आप उससे जेल में बंद कर दो" मोनू ने अपनी बाते जारी रखी।

"मोनू!" ये सुनते ही उसके मुंह पर एक थप्पड़ पड़ा। मोनू की मां भी अपने आपको रोक न पाई और मुझे तो मानो लकवा मार गया था।

मासूम Where stories live. Discover now