~मरियम की डायरी~
जब किसी से सीने से लगोगे, आसुओं से आंखें लाल हो जाएंगी और तब भी वो तुम्हे छोड़कर चला जाए तो दिल ज़िन्दगी भर उमर कैद का प्याला उठाए चलता है। हां, भई उसकी क्या गलती, कसूर तो मेरा था, इश्क़ के नाम पर हैर हद्द पार करने का जो कहा था। ना जाने कहां वो मुझसे छूट गया और मैं उससे। ऐसा कौन सा चौराहे पर छूटे थे, घर से भागने वाले हर जोड़े के तरह हमने तो हर स्टेप फॉलो किया था - चुपके से निकलना, बैग तैयार रखना और किसी को कने कान खबर ना होते हुए ट्रेन पर बैठ जाना। पर हमारी तो किस्मत ही खराब थी जनाब - मेरा मनहूस भाई उसी दिन सुबह टेहलने निकला था। सुबह साढ़े चार बजे किस नरफर्मेबरदर बच्चे को घूमना रहता है भगवान ही जाने। बाकी हर दिन सुबह 8 बजे उठता था। फिर क्या था। उस दिन क्या चीख निकली थी उसकी जुबान से - "अम्मा! अरी आओ! दीदी भाग रही है घर से! अरे कहां हो!"
फिर क्या था! सोने पर सुहागा था वो तो उसके परिवार के लिए; एक हफ्ते में शादी कर दी उसकी।
मुझे कभी जज्बाती लोग नहीं पसंद थे। चिढ़ होती थी। हमेशा लगता था कि इनके पास जीने के लिए हिम्मत नहीं है, तो अब आंसू बहा कर कौन पहाड़ उखाड़ना है। मेरी मां कहती थी कि कमजोर लोग ही ऐसी बातें करते हैं, मेरी तरह। मुझे तो भला कभी ऐसा ना लगा, मै तो पहले से ही थी 'काफी स्ट्रॉन्ग'। मां का क्या था, वो तो ये भी बोलती थी कि शनिवार को काले कपड़े पहनने चाहिए। मैंने तो कभी ना पहनें ना मेरे साथ कभी कुछ बुरा हुआ नहीं। बेचारी मेरी मां, ज़िन्दगी भर मेरी दादी की घुलमी में पिस्ती गई और उसे कभी भनक ही नहीं लगी की वो कब नई दुल्हन से दो बच्चों की दादी हो गई। वक्त भी कमाल होता है ना? पता ही नहीं चलता कब निकल जाता है। आज कितने बरस हुए है उसे जानते, उंगलियों पर गिनना पड़ता है, हर बार। हजारों बार याद करती हूं तो उंगलियों पार गिनती हूं... एक, दो, तीन.. पता नहीं ये सारे लम्हे मिलकर 13 साल कैसे बन गए।
आज सोचती हूं, जब पति बगल में बैठते हैं, की अगर उस दिन वो कमबख्त दरवाज़ा खोल देता तो शायद मैं आज उसकी घर की दुल्हन होती, मेरे बच्चे उसके होते और वो मेरा। मैं भी उमर के साथ सठिया रही हूं, आज उसे पता नहीं क्यूं गालियां देती हूं।
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Kyun aapse hain juda
RomanceBin jaane, bin puche jab kisi se pyaar nahi sacchi mohabbat hoti hai toh seena kata reh jata hai। shayad hi ye un lamho ko na choo पाएगी जो कंबलो के भीतर लोगो से छुपकर हो, पर सच्चा प्यार तो वही होता है जो लब्ज़ से छूटे और आसमान से टकरा आए।