'❤️कवि का ह्रदय और कविता '❤️

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'❤️कवि, का ह्रदय और कविता'❤️
एक  गद्य कविता)पति -पत्नि संवाद ✍️
कविता  क्या है❓
कैसे लिखी जाती हैं ❓
कवि का ह्रदय क्या अन्य मानवों से अलग होता है❓

पत्नी- कवि की कल्पना की नायिका कोई और
असलियत कुछ और होती है ट
पति-
तो फिर बताओ असलियत क्या होती है❓
कल्पना के सहारे से कविता की रचना कैसे संभव होती है
मन का वेग पहाड़ की नदी की तरह अपने जन्म शिखर से नहीं बँधा  होता है
किसी रास्ते से बाहर निकलने में गर नाकाम  होता है
भीतर-भीतर वह कसक उत्पन्न करता है  और
कविता स्वयं ही बनने लगती है
पति-
तो क्या सत्य नीरव और कल्पना वाचाल होती है?
हाँ सत्य नीरव व कल्पना वाचाल होती है

तो क्या कवि को अपने भावों को स्पष्ट रूप से अपनी कविता में लिखने का साहस नहीं है❓
ऐसा नहीं है
सत्य घटनाएँ भाव स्त्रोत को पत्थर की तरह दबाए रखती है
प्रेम में एक कातर संकोच होता है इसीलिए दूसरों को पर्दे की तरह बीच में रखकर ही लिख सकता है
लेखनी अपना मुँह खोल सकती है और
रचनाओं को रसपूर्ण बना सकता है
जो लौकिक पक्ष से होता हुआ परलौकिकता  की ओर बढ़ता है
यह सौन्दर्य से अधिक प्रेमगाथा है
इसका आधार प्रेम है
यह मनुष्यों को परस्पर  जोड़ता है
इसमें आकर्षण है
यह चिंतन,विचार और भावना के मिक्षण की कला है
इससे ऊँची जीवन की कोई अनुभूति नहीं है जिसने प्रेम को नहीं जाना  वह जीवन को भी नहीं जान सकता

घने अंधकार में टहलती चिंगारी है
ज़िन्दगी की कड़ी धूप में छाँव और प्रतिबिम्ब को छाँव बनाने की प्रक्रिया है
प्रेमी के ह्रदय में अगर हिम है तो प्रेम उष्ण समीर का झोंका बन हिम को पिघला देता है
कवि के ह्रदय में अगर जल की गहराई है तो प्रेम उस गहराई में मोती बन जाता है
निर्जन वन में प्रेम  सुख और शांति के बीज बो देता है ।
अजंता की गुफा में प्रेम सूर्य की किरण बन चमकता है
प्रेमिका का  सौन्दर्य देखकर  कवि सरोवर के फूल को अपनी कल्पना का फूल बनाकर उससे बातें करने लगता है 🌺🌼

भला कल्पना से सत्य कैसे उजागर हो सकता❓

मौलिक कृति करने वाले का संबंध अपने से होता,बाहर से नहीं
जब गहरी अनुभूति  आंतरिक धारणा के साथ होती
अनायास ही तब ध्यान सध जाता है
गहरे कवि यह ध्यान साध लेते
तभी तो उनके काव्य में चित्रों में रहस्यदर्शी जैसी झलक मिलती है
कई बार काव्य ऐसा कुछ कत देता जिसे गद्य में कभी नहीं कहा जा सकता है
कलाकृतियाँ ऐसी झलक  दे देती ,अन्य किसी ठंग से जिसे अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता है
क्या इसको और स्पष्ट करके बता सकते हैं कि किस तरह से यह संभव हो पाता है ?
क्यों नहीं?

अकेले गुलाब के फूल पर मन केन्द्रित करने पर
मन  में  गुलाब  का फूल ही रह जाता  लेकिन
ध्यान करने से
इसकी सूझ्मताएँ  सामने आने लगती है-ब्रह्मांड के सभी रहस्य
प्रकट होने लगते हैं
बूँद स्वयं  ही समुद्र का ज्ञान दे देती कि
अस्तित्व का छोटा सा अंश भी स्वयं में सृष्टि ही है ध्यान की यह अवस्था इतनी विलक्षण होती है

यहाँ  पहुँचने पर  अकेले गुलाब के फूल पर  ध्यान करके दुनिया के किसीभी सत्य को जाना जा सकता है
बुद्धि,
बोध बन जाती उस बुद्धि से
कलाकार , और

कवि प्रकट होता है।🙏

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