बिखरे जो अभी तो फिर समेटे नहीं जायेंगे
ये ख़्वाब जो टूट रहे हैं फिर देखे नहीं जायेंगे
तुम जो यूं मुकर रहे हो, तो तुम्हारी ना ही सही
हममें भी कुछ अना है, तेरे कदमों पे नहीं जायेंगे
फिर मलाल भी रहा तेरे हिज़्र का अगर
हम मलाल में ही मर जायेंगे, तेरे दरवाज़े ही नहीं जायेंगे
तमन्ना-ए-दीदार आख़िरी ख्वाहिश भी 'गर रही
दिल में दफ़न कर लेंगे, तुझे देखने नहीं जायेंगे
अंज़ाम-ए-इश्क़ भी यूं गज़ब का रहा....
'गर फिर मिली ज़िंदगी तो इश्क़ में नहीं जायेंगे
Aria
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