सिला-ए-दिलगि

By ManshaBhasin8

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लोग दिल से दिल लगा लेते है , सिला-ए-दिलागी में कई ज़ख्म दिल में पा लेते है, उसी दिलागी के कुछ पैगाम सुनो, मैन... More

जादू सा
हमारी प्रीति
आशिक़ -आहिल
कैसे करू
आखिर ऐसा
क्या हुआ
क्या फ़ायदा
दिल कहता है
फिर क्यों
उस बेवफा
वो गम देकर
करे तो कसे करे
ये तुमने
इश्क़ के नाम
इज़हार
मोहब्बत उनकी
हसी तो
भगवान बचाए
प्रेम
मेरे ज़हेनासीब
मेरे चाँद
काश!
मेरी प्रियसी
माफ़ी
लगता है
मासूमियत
note
मुझे ज्ञात न था
सिखाया ही ना
ही पड़ा है
ही प्रयाप्त है
आज मिला है
मैं उसे
तुम्हे पाया
note
पिया रंग
मेरा भय
आपके इस अपमान ने
ये तो होना ही था
जब तक
तुम मोहब्बत
ये कैसी मानवता है
अंतर
तुम केवल
प्रयास
आज मन है
मदहोश
मेरे रहबर
जन्नत - जेहनुम
महत्वपूर्ण
मेरे हमनफज़
वो प्यार
क्या पा लिया
प्रीत क्या है
वो है मोहोब्बत
जिसको हमने चाहा
बड़ा दर्द
वो कसक
ऐतबार
हमसफर
चल मैं
उस से
बर्बाद
फन्हा
तुझ से प्यार
गम
मेरी
मेरा
ये किया किसने
क्यों
कर दिया
हसीन थी
मोहताज़
रिहा
गुनाह
इंतज़ार
अधूरे
कैसे मनाऊं
कहते हो
लकीरों
बताओ तो ज़रा
किसे याद करे
ज़िंदगी

तू क्या ही जाने

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By ManshaBhasin8

तेरे पास से गुज़रा पर दिल में ना ठहर पाया तभी तो अखियों में ठहरे अक्स तेरी निघाओं में ना ठहर पाए,

तू मान या ना मान तेरे दिए इस एक तरफा इश्क़ के लिए मेरे दिल को पता है मैंने कितने गमों को जाम समझ पिया है,

तू क्या जाने मैने तेरे खातिर कितने आसुओं को फूल समझ आंखों में पिरोया है,

तू क्या जाने तेरे खातिर कसे मैंने खुद को पल पल हर पल खोया है,

तू क्या जाने तेरे खातिर मैने कितने गमों को दिल-ए-आफरीन में संजोया है,

तू क्या जाने,

बस तू क्या ही जाने।

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