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मुकम्मल नहीं हैं हम तेरे बगैर, तू समझता क्यूं नहीं?
हमसे अब ये हमारा दिल संभालता क्यूं नहीं?
सांसों को हमारी जैसे तेरा ही नशा है
ये ठहरें मेरी नसों में, तू जिंदगी में ठहरता क्यूं नहीं?
सुना है, तू बड़ा खूबसूरत दिखता है अपने शहर
मेरे शहर आने पर बनता संवरता क्यूं नहीं?
बड़े किस्से सुने हैं तेरे तबस्सुम की अदा के,
तू हम पर ये अदा अता करता क्यूं नही?
भूले किसी दिन तेरी गली से जो गुजरें हम
वाकयन ही सही, तू खिड़की पर बसर करता क्यूं नहीं?
Quoted by-- Aria