पत्थर

38 5 2
                                    

बरसों पत्थर की तरह बिताए हैं मैं ने,
अभी ढंग से साँस लेना नहीं आया मुझको।

मुट्ठी में सितारेजहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें