बरसों पत्थर की तरह बिताए हैं मैं ने,
अभी ढंग से साँस लेना नहीं आया मुझको।
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मुट्ठी में सितारे
Poetryज़िंदगी के टेड़े-मेड़े रास्तों में, कभी घेर लेते हैं गहन अंधेरे, और कभी झिलमिल करते, चमकते हैं मुट्ठी में सितारे।
पत्थर
बरसों पत्थर की तरह बिताए हैं मैं ने,
अभी ढंग से साँस लेना नहीं आया मुझको।