मैं तो उसके पास ही हूँ, बस ज़रा सी दूर हूँ
उस ने मेरा हाथ थामा, तभी तो में मौजूद हूँ
साथ मेरा दे के उसने, की मेरी दुनिया हसीं
फिर भी मेरे दिल को अब तक, हो नहीं पाया यकीं
अब भी मैं जब सोचता हूँ, डर मुझे आता है याद
उस से मिलने की ख़ुशी में, रोने पर मजबूर हूँ
इसलिए कहना है उसको, छोड़ देना ना हमें
उस अकेलेपन की आदत, लग नहीं सकती हमें
आज फिर मैं ये तमन्ना, लेके आया द्वार पर
आज फिर मैं बुतपरस्ती, करने पे मजबूर हूँ
ऐ खुदा ये जान मेरी, खोई है जो ख्वाब में
उसको वापस कर दो मुझको, या उठा लो तुम हमें
तेरी दुनिया में तो खुशियाँ, कम ही लगती हैं मगर
और कम करने का कारण, जान लूं तो पूर्ण हूँ
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Main To Uske Paas Hi Hoon...
PoetryA romantic poem imagined as sung by Jagjit Singh to the tune of Tum Gagan Ke Chandrama Ho