कविता लिखना Kavita Likhna

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कविता लिखना

कौपी राइट@२०१३ राजा शर्मा

कविता लिखना

दिल की घनी वादियों में जाकर

सब लोगों से नजरें बचाकर

ज्ञान की सघन झाडी के पीछे

देहरूपी वस्त्र उतार देना है

नयी हवायें मन को छूती हैं

कुछ सर्द एहसास होते हैं

ये अनुभव के  मौसमों से नहीं

बल्कि कुछ और होते हैं

पुराने वस्त्र उडके दूर जाते हैं

सजाने नये अलंकार आते हैं

कवि प्रश्न उत्तर से दूर होता है

वो क्या सही क्या गलत

से दूर निकल जाता है

फिर वहीं तपस्या में डूबा

नयी मेनका नचाता है

कुछ हैं ऐसे भी जो

पुराने वस्त्र उठाकर

उनकी मरम्मत कराकर 

उनसे खुदको सजाकर

दक्षिणा भी पा जाते हैं

पर काव्य की आत्मा को

वो बेदर्द खा जाते हैं

तपस्वी बिना वस्त्र निकलता है

नये मौसमों के अनुभव से

वो कुछ और भी खिलता है

फिर मन से कुछ बुंदें गिरकर

अक्षरो में ढलती हैं

फिर शब्द पन्क्तियों से होकर

नयी कविता वो बनती हैं

कविता लिखना

दिल की घनी वादियों में जाकर

सब लोगों से नजरें बचाकर

ज्ञान की सघन झाडी के पीछे

देहरूपी वस्त्र उतार देना है

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⏰ Last updated: May 27, 2013 ⏰

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