6. Ghazal - Dekh Liya

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छंद-गीत और शेर-ग़ज़ल सब कुछ लिख कर देख लिया
तू ने जैसा चाहा बिल्कुल वैसा दिख कर देख लिया

फ़रेब से तेरे थे अनजाने यह गुमान मत रख लेना
पीकर घूंट ज़हर का तेरी खा़तिर टिक कर देख लिया

भूल हुई जो सोचा कि इश्क़ में तू भी सुधर जाएगा
अंजाम यकीं का मैंने भी हद से अधिक कर देख लिया

विरह-वेदना मन भीतर की क्या समझेगी यह दुनिया
इश्क़ तेरे में हम ने जानम मुफ़्त में बिक कर देख लिया

नई मोहब्बत जिस से भी हो ज़रूर मुकम्मल करना तू
आख़िर क्या ही पाया जो यह व्यापार क्षणिक कर देख लिया

© random_kahaniyaan

Shayari- Baatein Rahi Kuch Ankahi जहाँ कहानियाँ रहती हैं। अभी खोजें