छंद-गीत और शेर-ग़ज़ल सब कुछ लिख कर देख लिया
तू ने जैसा चाहा बिल्कुल वैसा दिख कर देख लियाफ़रेब से तेरे थे अनजाने यह गुमान मत रख लेना
पीकर घूंट ज़हर का तेरी खा़तिर टिक कर देख लियाभूल हुई जो सोचा कि इश्क़ में तू भी सुधर जाएगा
अंजाम यकीं का मैंने भी हद से अधिक कर देख लियाविरह-वेदना मन भीतर की क्या समझेगी यह दुनिया
इश्क़ तेरे में हम ने जानम मुफ़्त में बिक कर देख लियानई मोहब्बत जिस से भी हो ज़रूर मुकम्मल करना तू
आख़िर क्या ही पाया जो यह व्यापार क्षणिक कर देख लिया© random_kahaniyaan
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Shayari- Baatein Rahi Kuch Ankahi
Poetryनौ उमरी सारी ख़ाक करी कसीदे हुस्न के पढ़ने में बारह दिन भी नहीं लगे फ़ितूर-ए-इश्क़ उतरने मे ... © Random_Kahaniyaan कुछ शेर कुछ कविताएं कुछ गीत, जो लिखे तो गये परंतु जिसके लिए लिखे उसे सुनाना मुमकिन न हो सका। मैं शायर तो नहीं, बस दिल से दिल की कहने...