Hindi version: राधा की जागरूकता: प्रेम और ज्ञान की यात्रा
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जंगल के शांत वातावरण में, राधा एक वास्तविकता में जागरूक हुई जो कि सपनेजैसा लग रहा था और स्वीकार नहीं किया जा सकता। जब वह नींद से उठी, तो उसके इंद्रियों ने धीरे-धीरे अजनबी वातावरण को स्वीकार किया। यह न केवल उसका खुद का बिस्तर था जहां वह ख़ुद को पाया, न केवल उसका शरीर था जिसमें वह आत्मा का बोझ ले रही थी, बल्कि वह किसी और की शक्ति में आत्मा का अनुभव कर रही थी।
राधा के मन में उलझन और भय का बवंडर था जब वह अपनी टूटी हुई चेतना के टुकड़ों को सामायन करने की कोशिश कर रही थी। वह कौन थी? और वह यहां क्यों थी? ये सवाल उसकी मन में अब तक गूंज रहे थे, उसे अस्थिरता की लहर में डूबने की आशंका थी।
लेकिन, उसके विचारों के तंतु के बीच, एक परिचित उपस्थिति उभरी, जैसे कि अंधकार के बीच प्रकाश की रौशनी हो। वहाँ, उसके सामने खड़े थे, कृष्ण—जिसका नाम उसने समय से अभीतक अपनी आत्मा पर लिखा था।
"कृष्ण," राधा धीरे से श्वास लेते हुए उसकी दिशा में मुख किया, आश्चर्य और अविश्वास के मिश्रण के साथ।
कृष्ण की आंखें, ज्ञान और दया से अभिगत, उसकी समझदारी के साथ उसकी मिली, "राधा," उसने कहा, उसकी ध्वनि एक चिरन्तन संगीत जो उसकी चिंतित आत्मा को आराम देती थी।
एक ग्रेसफुल तरीको से, कृष्ण ने उसकी ओर अपना हाथ बढ़ाया, एक चुप आमंत्रण जिसे उसने उसके साथ इस अप्रत्याशित यात्रा पर शामिल होने के लिए दिया। उस्मानी के साथ उठी हुई राधा, एक भरोसे का मौन समझौता जिसे विश्वास और भक्ति का एक आदमभूत अनुबंध करता है।
"मैं कहां हूं?" राधा पूछी, उसकी आवाज़ डर और उत्सुकता की मिश्रितता के साथ कंप रही थी।
"तुम यहां हो, मेरी प्रिय राधा," कृष्ण ने जवाब दिया, उसकी निगाह स्थिर, "क्योंकि तुमने माया का परदा फाड़ने की इच्छा की है जो कि अस्तित्व का एक सच्चाई है और जो तुम चाहते हो कि मैं कौन हूँ और तुम मेरे साथ किस प्रकार संबंधित हो।"
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Awakening of Radha
FanfictionThis is a one shot FANFICTION of how i envision a conversation between Lord Krishna and Lady Radha would go if Radha wanted to ask a question i want to ask Lord Krishna. There is no way i would insult my own religion and gods so pls no hate. Also co...