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सृष्टिSensitive Observer द्वारा
बेतुके से ख़्याल हैं फिर भी खूब सोचते हैं,
नक्काशियों से महल कमाल है फिर भी खरोंचते हैं,
देखा हमने कि सब जैसे तैसे भी तो रह लेते हैं यहाँ पर,
फिर ना जाने क्यों हम उसकी सृ...