मुझे दुख होता है जब सस्ती लोक प्रियता के लिये राजनितिक पार्टीयां लोगों की भावनाओं से खेलती है, अपना उल्लू सीधा करने के,लिये लोगों को एक दूसरे से भिडाती है. लोगों को ठगना उंनकी मजबूरी का नाजायज फायदा उठाना वो अपना धर्म समझती है. उनके लिये देश से पहले राजनिती है, अगर लोगों का खून बहाने से उनके वोट बेंक मे इजाफा होता हो तो वो भी कर गुजरने मे उन्हे कोइ अपराध बोध नही होता. एसे माहोल मे क्या कोइ सोच सकता की कभी एक एसा शख्स भी था जो देश के लिये हंसते हंसते फांसी पर झूल गया .