पति (पत्नी से)- सम्मोहन का अर्थ क्या होता है?
पत्नी (पति से)- किसी आदमी को अपने प्रभाव से वशीभूत करके उससे मनचाहा काम करा लेने को सम्मोहन कहते हैं।
पति (हंसते हुए)- अरे नहीं उसे तो शादी कहते हैं।
पत्नी (पति से)- सुनो जी, अगर तुम्हारे इसी रफ्तार से सिर के बाल झड़ते रहे तो एक दिन मैं तुम्हें तलाक दे दूंगी। मुझे गंजे लोग बिलकुल पसंद नहीं है।
पति (चौंककर)- अरे! मैं भी कितना बेवकूफ हूं, कुछ अच्छा मांगने के बजाए भगवान से हमेशा कहता रहा कि मेरे बाल सही सलामत रहें।
पत्नी (पति से)- हाय! मेरे तो करम फूट गए, जो तुम्हारे पल्ले बंधी वर्ना मुझे तो एक से बढ़कर एक योग्य वर मिल रहे थे।
पति (दु:खी होकर)- हां वह सचमुच योग्य थे, जो तुम्हारे फंदे में फंसने से बच गए।
पति (पत्नी से)- क्यों न आज की चाय हम बाहर चलकर पी जाए।
पत्नी (पति से)-क्यों? तुम्हे क्या लगता है कि मैं चाय बनाते-बनाते थक गई हूं।
पति- अरे नहीं, दरअसल मैं ही कप प्लेट धोते-धोते तंग आ गया हूं।
पत्नी (गुस्से में)- आज तक तुमने अपनी जिंदगी में किया ही क्या है?
पति (गर्व से)- मैंने अपना जीवन खुद बनाया है।
पत्नी- लो, और मैं हूं कि अब तक ईश्वर को दोष दे रही थी।