kahaani [ hindi poetry ]

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Poetry 33

कहानी

ये वक़्त है अजीब
जब कोई ना हो करीब
बैठे बैठे ख्वाब सजाऊ
जिनमें मैं सबसे दूर हो जाउ
या बस उसी ख्वाब में खो जाउ

समय बीते
सपने टुटे
बाते ऐसे लोग रूठे
जानेदो वैसे भी सब झूठे
ये मीठी बातें करके करीब आये
फिर अलग होकर बहुत कुछ सिखाये

किताबों की भाषा समझ आने लगी है
जिंदगी एक नया मोड़ दिखाने लगी है
उसी राह पर जाने लगा हूं
भिड से धुर हो चूका हू
लगता है जीने का मतलब सीख चुका हूं

एक ना एक दिन याद आयेगी
फिर से आँखे नर्मयेगी
या एक मुस्कान सी आयेगी बता जाएगी
सुना जाएगी एक और

कहानी

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