मुण्डक-दिव्यामृत (शिवानन्द)

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मुण्डक-दिव्यामृत

शिवानन्द

प्रकाशकीय

प्रख्यात तत्त्वचिन्तक श्री शिवानन्दजी की ज्ञानसाधना से अमृतमयी रचनाएँ जिज्ञासु पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का सौभाग्य सर्व सेवा संघ-प्रकाशन को पहले से प्राप्त रहा है। उसी क्रम को जारी रखते हुए ‘मुण्डक-दिव्यामृत’ शीर्षक यह ग्रन्थ प्रकाशित कर आज हम धन्यता का अनुभव कर रहे है।

भारतीय संस्कृति की संरचना ऋषियों की देन है। ऋषि एवं कृषि-संस्कृत ने ही भारत की भुनियाद को सदियों से सुदृढ़ बनाये रखा है। ऋषियों के गहन चिन्तन एवं शोध का सार उपनिषदों के रूप में उपलब्ध है, जो न केवल भारत की, बल्कि पूरे विश्व की, अमूल्य धरोहर है। मानव-विकास की आरोहण-प्रक्रिया में उपनिष्दों ने सदियों से दिशा- निर्देशन तो किया ही है।

श्री शिवानन्दजी ने उपनिषदों का अवगाहन-मन्थन करके और इनके गूढार्थों को आत्मसात् कर सामान्यजन के लिए सरल, सुबोध, सुगम्य भाषा-शैली में भाष्य एवं व्याख्याएँ प्रस्तुत करने का जो उपक्रम किया है, वह एक अमूल्य समाजोपयोगी सेवाकार्य भी है। साधाकों के पथ् को तो उन्होने सुगम बनाया ही है।

आज मानव-सभ्यता जिन विराट् एवं विकराल चुनौतियों के समक्ष खडी है, उनका सामना करने की शक्ति, सनातन मूल्यों के साथ युगधर्म का यमवाय करके ही प्राप्त करना सम्भव है। प्रस्तुत ग्रन्थ की प्रासंगिता इस सन्दर्भ को ध्यान में लेने पर भी अधिक बढ़ जाती है। सर्व सेवा संघ- प्रकाशन को यह ग्रन्थ प्रस्तुत करते हुए आशा ही नहीं, पूरा विशवास है कि पूर्व के ग्रन्थों की भाँति ‘ मुण्डक-दिव्यामृत’ का भी पाठकों, साधकों, जिज्ञासुओं द्वारा हार्दिक स्वागत किया जाएगा और ग्रन्थ् के प्रसार-प्रचार में हमे उनका व्यापक सहयोग प्राप्त होगा।

-रामचन्द्र राही

संयोजक

सर्व सेवा संघ प्रकाशन,

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⏰ पिछला अद्यतन: Jul 23, 2009 ⏰

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