Aarti

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आरती श्री रामायणजी की। कीरति कलित ललित सिय पी की॥

गावत ब्रह्मादिक मुनि नारद। बालमीक बिग्यान बिसारद॥

सुक सनकादि सेष और सारद। बरन पवन्सुत कीरति नीकी॥

गावत बेद पुरान अष्टदस। छओं सास्त्र सब ग्रंथन को रस॥

मुनि जन धन संतन को सरबस। सार अंस सम्म्मत सब ही की॥

गावत संतत संभु भवानी। अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥

ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी। कागभुसुंडि गरुड के ही की॥

कलि मल हरनि बिषय रस फीकी। सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥

दलन रोग भव भूरि अमी की। तात मात सब बिधि तुलसी की॥

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⏰ Last updated: Mar 31, 2015 ⏰

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Ramayan - Ramcharitramanas - Purushotam CharitramanasWhere stories live. Discover now